आदिवासी-प्रकृति के पुजारी
कौन हैं आदिवासी? "आदिवासी" एक शब्द है जिसका उपयोग भारत में स्वदेशी,मूलनिवासी या आदिवासी लोगों को संदर्भित करने के लिए किया जाता है। इस शब्द का प्रयोग जातीय समूहों और समुदायों की एक विस्तृत श्रृंखला का वर्णन करने के लिए किया जाता है जो ऐतिहासिक रूप से देश के जंगलों और ग्रामीण इलाकों में रहते हैं, और उनकी अपनी अलग रीति-रिवाज,संस्कृति,नेंग-जोग,पूजा पध्दति,भाषा और परंपराएं हैं। आदिवासी समुदाय अक्सर हाशिए पर होते हैं और महत्वपूर्ण सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक चुनौतियों का सामना करते हैं। आदिवासियों के बारे में बहुत कुछ कहा, सुना गया, बहुत कुछ लिखा, पढ़ा गया और बहुत कुछ इन सबके बीच छुट भी गया है। चिंतको ने अपने अनुसार अध्ययन कर अपना मत व्यक्त किया है, किंतु आदिवासी समुदाय को समझना इतना भी आसान नहीं है। जिस तरह से सिंधु घाटी सभ्यता कि लिपि को आज पुरी तरह से पढ़ा, समझा नहीं जा सका है उसी प्रकार आदिवासी समुदाय को भी आज तक पुरी तरह से समझा नहीं जा सका है।